×

Archive for June, 2025

Yoga Asanas and Muscle Mass, Strength, and Power: A Wise, Holistic Approach
Muscle mass, strength, and power are vital for functional health, longevity, and well-being. While conventional strength training is popular today, yoga offers a holistic and sustainable alternative that nurtures both physical and mental dimensions. This article explores how asanas contribute to maintaining muscle mass, building functional strength, and modestly enhancing muscle power. It also highlights[…]
मूल स्वरूप की पुकार: आत्मा की ओर लौटने की साधना
(विचारों से परे, साक्षी भाव से आत्मा की स्मृति तक की यात्रा) “कुछ भी एक दिन में नहीं होता। ये जन्मों–जन्मों की साधना है।“ विचारों से परे जाना — यह कोई तात्कालिक प्रयास नहीं, यह एक दीर्घकालीन यात्रा है।यह वही मार्ग है जो ऋषियों ने हजारों वर्षों तक नापते हुए बताया —“यत्र विचार न गच्छन्ति“[…]
ध्यान की गहराई: विचारों से परे मौन की ओर
1. विचार नहीं, ‘विचारकर्ता’ ही ध्यान का पहला भ्रम है ध्यान तब तक पूरा नहीं होता, जब तक ‘मैं ध्यान कर रहा हूँ’ का भाव है।जब ‘ध्यानकर्ता’ मिटता है — तब ही ध्यान घटता है। “ध्यान करना” → एक क्रिया है।“ध्यान में होना” → एक स्थिति है। 2. ध्यान कोई ‘दृश्य‘ नहीं देता — वह[…]
विचार और सजगता: खोने और पाने के बीच की सूक्ष्म यात्रा
1. सजगता क्यों गायब हो जाती है? जब आप सजग होते हैं — आप विचार को देख रहे होते हैं।पर जैसे ही आप किसी विचार से जुड़ जाते हैं (यानी उसमें खो जाते हैं), सजगता छिन जाती है। सजगता = देखनाअसजगता = जुड़ जाना, पहचान बना लेना “मैं सोच रहा हूँ“ का भाव आते ही[…]
विचार: सृष्टि का बीज और आत्मा की परीक्षा
1. विचार सिर्फ तरंग नहीं, ऊर्जा का बीज है हर विचार में ऊर्जा निहित होती है। यह ऊर्जा या तो सृजन करती है, या विनाश।जैसे बीज में पूरा वटवृक्ष समाया होता है, वैसे ही एक सूक्ष्म विचार में एक संपूर्ण जीवन की दिशा छिपी होती है। “यद् भावं तद् भवति“ — जैसा सोचते हो, वैसे[…]
विचार: जड़ भी यही, समाधान भी यही
एक योगिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से समझ 1. विचार क्या हैं? विचार (Thoughts) मन के भीतर उत्पन्न होने वाली तरंगें या चित्त की वृत्तियाँ हैं। ये हमारे संस्कारों, अनुभवों, इंद्रियों के संपर्क, और स्मृतियों से उत्पन्न होती हैं। पतंजलि योगसूत्र में कहा गया है: “योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः”(योगसूत्र 1.2) अर्थात – योग चित्त की वृत्तियों (विचारों) का निरोध[…]